"पेशानी-ऐ-हयात में कुछ ऐसे बल पड़े, हंसने को जी जो चाहा तो आंसू निकल पड़े, रहने दो ना बुझाओ मेरे आशियाँ की आग, इस कशमकश में आपका दामन ना जल पड़े।" इन्ही शेर के साथ ग़ज़ल आरम्भ होती और सलीम के चेहरे पर मोनालीसा मुस्कान उतर आती मैं उसके चहरे पर कई भाव देखता किंतु होस्टल से निकल कर नए शहर में आए एक बीवीविहीन इंसान के लिए ऑफिस जाने के लिए खाना गैरजरूरी चीज़ नहीं हो सकता तो संगीत की रूमानियत को थोड़ा परे रखते हुए मैं उससे दाल चावल मांग बैठता, सलीम अपनी शास्त्रीय समझ को मुझ तक पहुंचाने के लिए कोई और दिन तय कर देता और फ़िर उसका छोटा भाई राजू मेरे लिए साबुन, तेल, दाल जुटाने लगता।
राजू को शिकायत रहती कि भाई साहब सारे दिन गानों में खोये रहते है कुछ काम नही करते फ़िर सलीम कहते ये राजू तो नाकारा है सउदीअरब भेजा था बस रंग बदल कर आ गया। राजू की स्थिति में तब तक कोई परिवर्तन नहीं आया जब तक मैं आकाशवाणी में दो साल तक वहाँ पोस्टेड रहा। आज मुझे राजू की याद इस लिए आई कि पूरा देश उसी से मुखातिब है और शाम को अमेरिकी भी अपना सर धुन रहे होंगे।
इस राजू का पूरा नाम बी रामालिंगम राजू है, जन्म १६ सितम्बर १९५४ को हुआ और आँध्रप्रदेश के लोयोला कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक और ओहियो विश्वविद्यालय से एम बी ऐ तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद देश सेवा करने के बड़े सपने लेकर स्वदेश लौट आया। कल तक दुनिया के अरबपतियों में शामिल राजू की आज भारत की कई एजेंसियों को तलाश है। सफलता की अविश्वसनीय कहानियों के पात्रों में एक नाम राजू का भी सदा बना रहेगा, भारतीय कारपोरेट जगत में सम्माननीय व्यक्तियों में से एक राजू को उनकी कंपनी द्वारा कारपोरेट गवर्नेंस में रिस्क मैनेजमेंट हेतु वर्ष दो हज़ार आठ का गोल्डन पीकोक अवार्ड दिया गया था।
अरबों रुपये की इस बहु राष्ट्रीय कंपनी की शुरुआत मात्र बीस कर्मचारियों के साथ उन्नीस सौ सित्त्यासी में की गई थी, भवन निर्माण और कपड़ा व्यवसाय में हाथ आजमाने के बाद राजू ने प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में असीम संभावनाओं को पहचानते हए सत्यम नाम से सॉफ्टवेर सॉल्यूशन कंपनी की नीवं रखी, कंपनी का प्रोफाइल किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है न्युयोर्क और यूरोनेक्स्ट पर पंजीकृत , साठ से अधिक अंतरराष्ट्रीय ग्राहक, छ सौ से अधिक एलाईज और पचास भागीदार अरबों का व्यवसाय इन सब उपलब्धियों पर चेन्ने के अन्ना विश्वविद्यालय ने भी अपना सम्मान बढाया राजू को डॉक्टरेट की मानद उपाधी प्रदान करके।
राजू ने इस सफलता के बाद एकाएक अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर खुलासा किया कि वे बरसों से कंपनी के नतीजों को बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे हैं और एक नया नतीजा भी हाथों हाथ मिल गया भारतीय सेंसेक्स सात सौ और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकाँक निफ्टी सात प्रतिशत तक गिर गया। ये निवेशकों के साथ धोखा है और आर्थिक अपराध। इस अरबों के हेरफेर वाले अर्थशास्त्र में व्यक्ति कि महत्वाकांक्षाएं ऐसी दुधारू तलवार है जो साम्राज्य निर्माण और व्यवस्था के पतन तक के कारण बनती रही है।
राजू ने जो कुछ किया उस पर हमारी नियामक संस्थाओं और वित्त मंत्रालय पर जिम्मेदारी अवश्य बनती है किंतु खरपतवार की भांति उग आए न्यूज़ चेनल्स के प्रस्तोताओं को ज़रा बर्नार्ड मेडाफ के बारे में अमेरिकी क़ानून व्यवस्था के सन्दर्भ में जान लेना चाहिए ये कोई बहुत पुराना और असामयिक व्यक्तित्व अथवा घटनाक्रम नहीं है। ग्यारह दिसम्बर को राजू की भांति मेडाफ ने भी ठीक ऐसा ही खुलासा किया और आज उनके लिए प्राथमिक तौर पे लगाए गए अनुमान के अनुसार बीस साल का कारावास और पाँच मिलियन का हर्जाना बनता है।
वर्ष उन्नीस सौ अडतीस में क्वींस में जन्मे मेडाफ अमेरिकी नेशनल असोसिएशन ऑफ़ सिक्युरिटीज़ डीलर्स यानी नेस्डेक के चेयरमेन रहे, राजनीति में स्नातक मेडाफ ने पाँच हज़ार डॉलर से कारोबार शुरू किया और वे वर्ष दो हज़ार सात में एक करोड़ डॉलर से अधिक के दान दाता थे आज अमेरिकी एजेंसियां उनसे पूछताछ में मसरूफ हैं। मेडाफ ने उन्नीस सौ सत्यासी की गिरावट में पुट से अरबों रुपये कमाए थे और उनकी इसी सफलता के फोर्मुले ने उनको जेल के सींखचों के पीछे धकेल दिया है। व्यक्ति के लिए उपयोगी और फलदायी निवेश कभी कभी संस्थाओं के लिए समान परिणाम नही देता.
इस महा मंदी ने अमेरिकी खिलाड़ी और उसके निवेशकों को चारों खाने चित्त कर दिया है। मैं इस बात में मेडाफ के सुख सागर का वर्णन इस लिए नहीं करना चाहता क्योंकि आप समझ सकते हैं कि इतनी संपत्ति के मालिक को क्या हासिल नही हो सकता जेल के सींखचों के सिवा? राजू और मेडाफ नेस्डेक के दो महारथी हैं एक प्रोधौगिकी प्रदाता दूसरा इसी क्षेत्र का गंभीर सौदागर। मेरे एक मित्र बड़े अनुभवी और सम्माननीय है इस विधा के, साल भर पहले उन्होंने मुझे अपने ज्ञान से डी एल एफ का एक भविष्य का सौदा करने से रोका और उसका परिणाम ये हुआ कि मेरे तीस हज़ार रुपये बच गए। मेरे ये मित्र भी सत्यम के दीवाने रहे हैं।
आज सत्यम के निवेशक हाँफते बिलखते गालियां देते और पश्चाताप करते दिखाई पड़ रहे हैं, हालांकि इस से उनके ज्ञान में अभिवृद्धि ही हुई होगी किंतु मेडाफ और राजू की सफलताओं के मायने सर्वकालिक सहमतीपूर्ण क्यों नहीं होते ? लालच भय दंभ और झूठ पर इतने साहसी और कर्मण्य लोग विजय श्री क्यों नहीं पा सकते ?
सउदी अरब से लौटे नाकामयाब मजदूर राजू और बी रामालिंगम राजू में बस इतना सा ही फर्क दिखायी पड़ता है कि मजदूर राजू ने किसी के सपने नहीं चुराए है। सलीम मिले तो उसे बताना कि तुम्हारा भाई दुनिया के बहुत सारे लोगों से बेहतर है और कभी मेहदी हसन के स्वर में फरहत शहजाद का कलाम सुनना " तन्हा-तन्हा मत सोचा कर, मर जावेगा मत सोचा कर, प्यार घड़ी भर का ही बहुत है, सच्चा झूठा मत सोचा कर....."
राजू को शिकायत रहती कि भाई साहब सारे दिन गानों में खोये रहते है कुछ काम नही करते फ़िर सलीम कहते ये राजू तो नाकारा है सउदीअरब भेजा था बस रंग बदल कर आ गया। राजू की स्थिति में तब तक कोई परिवर्तन नहीं आया जब तक मैं आकाशवाणी में दो साल तक वहाँ पोस्टेड रहा। आज मुझे राजू की याद इस लिए आई कि पूरा देश उसी से मुखातिब है और शाम को अमेरिकी भी अपना सर धुन रहे होंगे।
इस राजू का पूरा नाम बी रामालिंगम राजू है, जन्म १६ सितम्बर १९५४ को हुआ और आँध्रप्रदेश के लोयोला कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक और ओहियो विश्वविद्यालय से एम बी ऐ तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद देश सेवा करने के बड़े सपने लेकर स्वदेश लौट आया। कल तक दुनिया के अरबपतियों में शामिल राजू की आज भारत की कई एजेंसियों को तलाश है। सफलता की अविश्वसनीय कहानियों के पात्रों में एक नाम राजू का भी सदा बना रहेगा, भारतीय कारपोरेट जगत में सम्माननीय व्यक्तियों में से एक राजू को उनकी कंपनी द्वारा कारपोरेट गवर्नेंस में रिस्क मैनेजमेंट हेतु वर्ष दो हज़ार आठ का गोल्डन पीकोक अवार्ड दिया गया था।
अरबों रुपये की इस बहु राष्ट्रीय कंपनी की शुरुआत मात्र बीस कर्मचारियों के साथ उन्नीस सौ सित्त्यासी में की गई थी, भवन निर्माण और कपड़ा व्यवसाय में हाथ आजमाने के बाद राजू ने प्रोद्यौगिकी के क्षेत्र में असीम संभावनाओं को पहचानते हए सत्यम नाम से सॉफ्टवेर सॉल्यूशन कंपनी की नीवं रखी, कंपनी का प्रोफाइल किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है न्युयोर्क और यूरोनेक्स्ट पर पंजीकृत , साठ से अधिक अंतरराष्ट्रीय ग्राहक, छ सौ से अधिक एलाईज और पचास भागीदार अरबों का व्यवसाय इन सब उपलब्धियों पर चेन्ने के अन्ना विश्वविद्यालय ने भी अपना सम्मान बढाया राजू को डॉक्टरेट की मानद उपाधी प्रदान करके।
राजू ने इस सफलता के बाद एकाएक अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर खुलासा किया कि वे बरसों से कंपनी के नतीजों को बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे हैं और एक नया नतीजा भी हाथों हाथ मिल गया भारतीय सेंसेक्स सात सौ और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकाँक निफ्टी सात प्रतिशत तक गिर गया। ये निवेशकों के साथ धोखा है और आर्थिक अपराध। इस अरबों के हेरफेर वाले अर्थशास्त्र में व्यक्ति कि महत्वाकांक्षाएं ऐसी दुधारू तलवार है जो साम्राज्य निर्माण और व्यवस्था के पतन तक के कारण बनती रही है।
राजू ने जो कुछ किया उस पर हमारी नियामक संस्थाओं और वित्त मंत्रालय पर जिम्मेदारी अवश्य बनती है किंतु खरपतवार की भांति उग आए न्यूज़ चेनल्स के प्रस्तोताओं को ज़रा बर्नार्ड मेडाफ के बारे में अमेरिकी क़ानून व्यवस्था के सन्दर्भ में जान लेना चाहिए ये कोई बहुत पुराना और असामयिक व्यक्तित्व अथवा घटनाक्रम नहीं है। ग्यारह दिसम्बर को राजू की भांति मेडाफ ने भी ठीक ऐसा ही खुलासा किया और आज उनके लिए प्राथमिक तौर पे लगाए गए अनुमान के अनुसार बीस साल का कारावास और पाँच मिलियन का हर्जाना बनता है।
वर्ष उन्नीस सौ अडतीस में क्वींस में जन्मे मेडाफ अमेरिकी नेशनल असोसिएशन ऑफ़ सिक्युरिटीज़ डीलर्स यानी नेस्डेक के चेयरमेन रहे, राजनीति में स्नातक मेडाफ ने पाँच हज़ार डॉलर से कारोबार शुरू किया और वे वर्ष दो हज़ार सात में एक करोड़ डॉलर से अधिक के दान दाता थे आज अमेरिकी एजेंसियां उनसे पूछताछ में मसरूफ हैं। मेडाफ ने उन्नीस सौ सत्यासी की गिरावट में पुट से अरबों रुपये कमाए थे और उनकी इसी सफलता के फोर्मुले ने उनको जेल के सींखचों के पीछे धकेल दिया है। व्यक्ति के लिए उपयोगी और फलदायी निवेश कभी कभी संस्थाओं के लिए समान परिणाम नही देता.
इस महा मंदी ने अमेरिकी खिलाड़ी और उसके निवेशकों को चारों खाने चित्त कर दिया है। मैं इस बात में मेडाफ के सुख सागर का वर्णन इस लिए नहीं करना चाहता क्योंकि आप समझ सकते हैं कि इतनी संपत्ति के मालिक को क्या हासिल नही हो सकता जेल के सींखचों के सिवा? राजू और मेडाफ नेस्डेक के दो महारथी हैं एक प्रोधौगिकी प्रदाता दूसरा इसी क्षेत्र का गंभीर सौदागर। मेरे एक मित्र बड़े अनुभवी और सम्माननीय है इस विधा के, साल भर पहले उन्होंने मुझे अपने ज्ञान से डी एल एफ का एक भविष्य का सौदा करने से रोका और उसका परिणाम ये हुआ कि मेरे तीस हज़ार रुपये बच गए। मेरे ये मित्र भी सत्यम के दीवाने रहे हैं।
आज सत्यम के निवेशक हाँफते बिलखते गालियां देते और पश्चाताप करते दिखाई पड़ रहे हैं, हालांकि इस से उनके ज्ञान में अभिवृद्धि ही हुई होगी किंतु मेडाफ और राजू की सफलताओं के मायने सर्वकालिक सहमतीपूर्ण क्यों नहीं होते ? लालच भय दंभ और झूठ पर इतने साहसी और कर्मण्य लोग विजय श्री क्यों नहीं पा सकते ?
सउदी अरब से लौटे नाकामयाब मजदूर राजू और बी रामालिंगम राजू में बस इतना सा ही फर्क दिखायी पड़ता है कि मजदूर राजू ने किसी के सपने नहीं चुराए है। सलीम मिले तो उसे बताना कि तुम्हारा भाई दुनिया के बहुत सारे लोगों से बेहतर है और कभी मेहदी हसन के स्वर में फरहत शहजाद का कलाम सुनना " तन्हा-तन्हा मत सोचा कर, मर जावेगा मत सोचा कर, प्यार घड़ी भर का ही बहुत है, सच्चा झूठा मत सोचा कर....."
Kishore ji... Awesome post! The way you write is too good! Raju sahab ka bhagwan bhala kare!
ReplyDeleteबड़ी देर करदी मेहरबां आते आते. शायद ये सही न हो पर उत्सुकता आपने इतनी बढ़ा दी है कि लगता है किशोरजी पोस्ट ठेल क्यों नही रहे. इस नई पोस्ट के आमद का स्वागत है. इस वक्त संवेदी सूचकांक जैसे देश कि सामूहिक धडकनों का ई से जी है और सब नब्ज़ न गिरने कि दुआएं कर रहे है. बिल्कुल ठीक नब्ज़ पर उंगली रखी है. राजू तो घराना अनाम वाला ही सच्चा होता है.
ReplyDeleteSatans Darling™ आपके ब्लॉग का तो मैं दीवाना हूँ एक ही पोस्ट को कई बार पढ़ा है, झुक कर सलाम बजाता हूँ आपके शब्दों के लिए।
ReplyDeleteसंजय जी आप जानते हैं कि मैं एक भला सा पाठक हूँ फ़िर भी शेयर बाज़ार जैसे रूखे विषय पर लिखते हुए सोचता हूँ कि आप कितने भले लोग हैं जो हिम्मत बढाते रहते है।और आपने राजू के घराने की मजेदार बात याद दिलाई....
एकदम सही फरमाया आपने!!!!!
ReplyDeleteKishore ji... Thank you so much! And you can call me Ashrita that is my name :P
ReplyDeletebilkul sahi kaha he apne .
ReplyDeletekishor ji.
मेरी उम्मीदों के पंख, सूरज की तरह चमकने वालों, मेरी हिम्मत और मेरे हौसलों आपका बहुत-बहुत शुक्रिया , आपसे बातें भी जायेगी कृपया मेल पर पधारें kishorejakhar@gmail.com
ReplyDeleteआपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
ReplyDeleteKishore ji... aapki khani padhi...uljhe hue sambanhon ko aapne bkhubi bandha hai..bhavon ka chitran aur vicharon k uhapoh ko bhot acche tarike se pesh kiya hai aapne BDHAI...!
ReplyDeleteHey Kishore, as i don't understand Hindi and seeing all your other comments i got someone to translate a post for me... you are really good :)
ReplyDeletesatyam ki kahani kafi rochak andaaz mein pesh ki hai.
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