Sunday, November 2, 2008

मेरे बारे में




साल सत्तर में जन्मा. कला में स्नातक और बाद में पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातकोत्तर की उपाधि का जुगाड़ किया हुआ है. बाईस की उम्र तक जोधपुर, जयपुर और दिल्ली जैसे शहरों में घूमा. हबीब तनवीर और सफ़दर हाशमी के नाटक देखे. बेहतर दुनिया की लड़ाई के आन्दोलनों में भाग लिया. जयपुर के फुटपाथों पर चाय पीते हुए दोस्तों से कविताएं सुनी. एक अदद मुहब्बत के लिए जोधपुर में बसेरा किया. यहीं अख़बारों के दफ्तर देखे और खबरें लिखनी सीखी. तिरानवे में सरकारी मिडिया में बोलने का परमानेंट काम मिल गया. आज भी वहीं हूँ. जी की खुशी को बेवजह की बातें करता हूँ और कहानियां लिखता हूँ. परिवार में माँ, पत्नी, दो बच्चे और दो छोटे भाइयों के सुखी संसार हैं.

[अब तक का ज्ञात मेन्युफेक्चरिंग डिफेक्ट है कि जिससे दोस्ती हुई उससे प्यार हो गया... ]